Vish Yoga | Best remedy for Vish yoga |विष योग|punarphoo dosha

जन्म पत्रिका में दो ग्रहों की युति से योग बनते है जो शुभ और अशुभ हो सकते है| इसी में से हम आज के इस लेख में आपके साथ “विष योग(vish Yoga)” के बारे में चर्चा करेंगे| विष योग के सन्दर्भ में सभी इनफार्मेशन प्रदान करेंगे| जैसे की,

  • विष योग बनता कैसे है?
  • विष योग का फल क्या होता है?
  • विष योग कब शुभ फल प्रदान करता है?
  • विष योग की खराब प्रभाव दूर करने के का उपाय क्या है?

आशा है की आपको विष योग(vish yoga | punarphoo dosha) के बारे में दी गयी इनफार्मेशन पसंद आयेगी सबसे पहले हम विष योग बनता कैसे है उसे समजते है|

विष योग क्या होता है और कैसे बनता है? What is vish yoga and how is it formed?

जन्म पत्रिका में दो ग्रह से युति बनती है जो कभी कभी अच्छे या बुरे योग का निर्माण करते है| जब जन्म पत्रिका में चन्द्र और शनि की युति हो अथवा जब एक दूसरे को देख रहे हो तब विष योग बनता है| ज्योतिष में चंद्रमा मन का कारक है और चंद्रमा विष का कारक है| ऐसे में जब जन्म पत्रिका में चंद्र और शनि की युति(एक साथ एक ही भाव में बैठाना) तब मन विषाद युक्त हो जाता है| इसी लिए इसे विष योग कहा जाता है|

ज्योतिष में विष योग को काफी खराब तरीके से दर्शाया गया है की जातक को इस योग से काफी खराब फल मिलने वाले है| विष योग का यह फल चन्द्र और शनि के कारकत्व में जो अंतर है इस लिए अनुभव होते है| लेकिन हमेशा ही विष योग के खराब परिणाम नहीं मिलते कभी कभी यह लाभकारी भी हो सकता है|

विष योग का फल क्या होता है? (What is the result of vish yoga?)

ज्योतिष शास्त्रों के लगभग सभी ग्रंथो में विष योग के बारे में एक सामान फल लिखा है जो अच्छा नहीं है| ज्योतिष के हिसाब से विष योग का प्रमुख फल कुछ इस तरह होता है|

  • विष योग के प्रभाव के कारण मन की शांति नहीं मिल पाती है|
  • इस योग के प्रभाव के कारण जातक अपने कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है|
  • जातक पुराने खयालो को मानने वाला होता है और नयी चीजे आसानी से नहीं पसंद कर सकता|
  • विद्यार्थीयों को पढ़ने में अवरोधक बन सकता है|
  • कभी कभी यह योग विवाह में भी बाधा बन सकता है|
  • ऐसे जातक के मन में विषाद अधिक होता है| और एक ही बात पर आवश्यकता से अधिक सोचने में लगे रहते है|

विष योग का प्रभाव कैसा होगा|(How will the effect of poison yoga)

विष योग (vish yoga | punarphoo dosha) का फल काफी बातो पर आधार रखता है| जैसे की,

  • उस पर पड़ने वाले ग्रह की दृष्टि शुभ हो तो जातक के लिए अच्छा और पाप दृष्टि जातक के लिए अनिष्टकारी होती है|
  • शनि और चन्द्र की युति कितनी पास है यह भी काफी महत्व रखता है| 10 डिग्री से कम अंतर वाली युति काफी प्रभावी होती है बी की इससे अधिक अंतर वाली युति कम प्रभावी होती है|
  • शनि और चन्द्र में से चन्द्र डिग्री शनि से अधिक हो तो चन्द्र शनि से आगे निकल चूका है मतलब प्रभाव अब कम होगा और फल मिलेग| और इसी में शनि वक्री हो तो प्रभाव और कम हो जाता है|
  • चन्द्र शनि से कम डिग्री पर हो तो अधिक प्रभाव देखने को मिलता है|
  • दोनों ग्रह किस तरह के भाव का प्रतिनिधित्व करते है यह भी असर करता है|

विष योग कब शुभ फल प्रदान करता है?

बहोत ही कम बार ऐसा बनता है की शनि चन्द्र की युति जो विष योग बनाती है वह अच्छा फल प्रदान करे| शनि चन्द्र की वजह से बुद्धि में कुटिलता आती है| जो अनुचित कार्य करने के लिए प्रेरति है| लेकिन कभी कभी कुछ प्रोफेशन में इस तरह की युति काफी लाभ कारी होती है| वकील जैसे व्यवसाय में बुद्धि की कुटिलता होनी आवश्यक है| ऐसे में जातक की जन्म पत्रिका में अगर शनि चन्द्र की युति तीसरे भाव में हो तो जातक उस तरह के सभी व्यवसाय में अच्छा कर सकता है|

विष योग के अलग अलग भाव में फल

प्रथम भाव में विष योग जातक के सेहत को काफी असर करती है| यह स्वास्थ्य को प्रभावित करती है साथ हो सोचने की शक्ति को भी असर करती है| प्रथम भाव से यह युति सप्तम भाव को भी देखती है जो विवाह में भी बाधा रूप बन सकती है|

द्वितीय भाव में शनि चन्द्र की युति धन सम्बन्धी समस्याओं को उत्पन्न करती है| ऐसे जातक की अपने अपने परिवार या अपने ससुराल के साथ अच्छी नहीं बनती होगी|

तीसरे भाव में शनि चन्द्र की युति विष योग(Vish yoga) से जातक के पराक्रम और बोलने पर असर होता है| यह कभी छोटे भाई बहन से भी या उनको भी तकलीफ दे सकता है|

चौथे भाव में विष योग से सुख में कमी आती है| भूमि इत्यादि सुख में कमी होती है| माता के सुख में भी कमी आ सकती है| जातक जन्म स्थान में अच्छा नहीं कर सकता|

पंचम भाव में यह युति विद्या अभ्यास को प्राप्त करने में समस्या उत्पन्न करती है| बच्चो को भी कभी कभी सेहत सम्बन्धी बड़ी समस्या हो सकती है|

छट्ठे भाव में शनि चन्द्र की युति जातक को शत्रु से आजीवन परेशान करा सकती है| कर्ज की भी समस्या रहती है|

सातवे भाव में शनि चन्द्र की युति पति पत्नी के बिच मतभेद करा सकती है| सातवा भाव व्यवसाय से जुड़ा है ऐसे में व्यवसाय में भी शनि या चन्द्र की दशा में नुकशान हो सकता है|

आठवे भाव में यह युति अचानक से आने वाली समस्या का कारक बनती है| धन की हानि और पैतृक सम्पति को मिलने में भी समस्या करा सकती है|

नौवे भाव में शनि चन्द्र की युति भाग्य को कम कर सकती है| माँ काली की उपासना करनी चाहिए|

दशम भाव में विष योग का प्रभाव पद-मान और प्रतिष्ठा पर पड़ता है| जातक अपने प्रोफेशन से कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकता है|

ग्यारहवे भाव में यह दोष लाभ से वंचित कर सकता है और महेनत अधिक करा सकता है| मित्र वर्ग कम हो सकता है|

बारहवे भाव में यह युति खर्च को बढ़ाती है| यह युति अनिद्रा की समस्या भी बन सकती है|

विष योग की खराब प्रभाव दूर करने के का उपाय क्या है? (Best remedy for vish yoga)

विष योग के प्रभाव को दूर करने के लिए काफी उपायों को हमारे शास्त्रों के द्वारा दिया गया है| यहाँ पर हम इनमे से कुछ उपायों को आपके साथ शेयर कर रहे| यह उपायो के द्वारा आप शनि चन्द्र की युति के प्रभाव को कम कर सकते है|

  • शिवजी की पूजा आपके मन को मजबूत करती है और विष योग से राहत देती है|
  • शनि और चन्द्र की युति से विष योग जब भी जन्म पत्रिका में बनता हो तब महाकाली की पूजा करने से विष योग का प्रभाव कम किया जा सकता है|(Best remedy for vish yoga)
  • हनुमानजी के मंदिर में पानी से भरा घडा दान कराने से विष योग का प्रभाव कम होता है|
  • सोमवार के दिन दूध में काले तिल मिलाकर शिवजी को चढाने से विष योग का प्रभाव कम होता है|(Best remedy for vish yoga)
  • पीपल के पेड़ के निचे शनिवार के दिन शाम को नारियेल रखना काफी शुभ फल प्रदान करता है|

निष्कर्ष

विष योग जन्म पत्रिका में होने से कभी भी डरने के आवश्यकता नहीं है| इसके थोड़े खराब प्रभाव है लेकिन इसे कुछ उपायों के द्वारा दूर किया जा सकता है|

हमें आशा है की आपको vish yoga | विष योग के बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी| विष योग को punarphoo dosha के नाम से भी जाना जाता है|

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