सूर्य जन्म पत्रिका का सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है| आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ सूर्य प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक को कैसा फल मिलेंगा उस पर बात करेंगे| सूर्य जन्म पत्रिका में नेतृत्व का प्रतिक माना जाता है साथ ही उसे पिता का कारक भी मना जाता है|
सूर्य का प्रथम भाव में सामान्य फल
जन्म पत्रिका में सूर्य का प्रथम भाव में फल अलग अलग लग्न में भिन्न भिन्न होता है| आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ सूर्य का प्रथम भाव सामान्य फल पर बात करेंगे|
सूर्य सामान्य तौर पर अहंकार और शासन का प्रतीक माना जाता है| जब भी जन्म पत्रिका में सूर्य प्रथम भाव में आता है तो जातक थोडा अहंकारी बनता है| वह सत्ता की प्राप्ति के लिए कभी कभी इर्ष्या की भावना रखता है| सूर्य को जन्म पत्रिका का राजा माना जाता है ऐसे में जब जन्म पत्रिका में प्रथम भाव में सूर्य हो तो जातक राजनीति में काफी रूचि रखता है|
सूर्य आत्म विश्वाश का भी कारक है और प्रथम भाव में सूर्य की यह स्थिति जातक को आत्मविश्वासु बनाता है|
सूर्य प्रथम भाव में होने पर प्रेम और विवाह के मामले मे
सूर्य प्रथम भाव में होने पर अपनी सातवी दृष्टि से वह सप्तम भाव को देखता है और वह नेचुरल पांचवे भाव का स्वामी माना जाता है|जातक अपने रिश्तो में भी अहंकार को नहीं छोड़ सकता| ऐसा जातक अपने रिश्तो को अपने अति गर्व भावना से बिगाड़ सकता है| यह दूसरो के अलावा खुद को अधिक प्रेम करते है|
ऐसे जातक का विवाह अगर सही समय पर सूर्य की दशा आये तो सूर्य की दशा के मध्य समय में विवाह हो सकता है|
सूर्य की दृष्टि सातवे भाव पर स्थित है जो की विवाह का ही भाव है, ऐसे में अगर विवाह का कारक अच्छा नहीं है तो अलगाव की स्थति भी बन सकती है|
सूर्य के प्रथम भाव में अच्छे फल
जन्म पत्रिका में सूर्य की यहाँ स्थिति जातक को अच्छी सामजिक प्रतिष्ठा दिलाती है| उनके पास एक मजबूत इच्छा शक्ति और साहस होता है| सूर्य नेतृत्व का करक है और कालपुरुष की कुंडली में सूर्य यहाँ उच्च का होने की वजह से वह अच्छे नेतृत्व का गुण भी देता है| राजनिति में अच्छी सफलता मिलती है| ऐसा जातक काफी महत्वकांक्षी होता है|
ऐसे जातक सकारात्मक उर्जा से सम्पन्न और स्वभाव से थोड़े कठोर होते है|
जातक बुद्धिमान बनता है और विभिन्न विषय वास्तु का ज्ञान रखने का शौक होता है।
अपने अच्छे गुण, महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वाश की बदौलत वह समाज में अच्छा नाम प्राप्त करते है|
स्वभाव से ऐसे जातक काफी इमानदार और प्रकृति के साथ ले बनाकर चलने वाले होते है|
ऐसे जातक हमेशा ही चुनौती के लिए सज्ज रहते है|
अपने कार्य क्षेत्र में अच्छे कर्मो की वजह से भविष्य में भी उन्हें अच्छे कर्मो के लिए याद किया जा सकता है|
राजनिति में लोगो को अपनी और करने की एक अच्छी कला हो सकती है|
प्रथम भाव के सूर्य के नकारात्मक प्रभाव
वह अपनी सफलता के लिए कभी कभी अहंकारी होते है और दूसरो को आसानी से चोट पंहुचा सकते है|
सफलता के बाद अहंकार बहोत ही जल्द उनमे व्याप्त हो जाता है|
अपने भाषणों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है|
सूर्य प्रथम भाव में होने की वजह से जातक गंजेपन की तकलीफ भी भोग सकता है|
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