28 Names of Arjuna with their Meaning

हम सभी जानते है की अर्जुन कौन था, लेकिन अधिकतर लोग उसके अन्य नाम(Names of Arjuna) से परिचित नहीं होते है| हमारे शास्त्रों में एक वस्तु या व्यक्ति के लिए अलग अलग नामो का प्रयोग किया गया है| यह हमारे शास्त्रों की एक बहोत बड़ी खूबी है| आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको अर्जुन के 27 नाम के बारे में इनफार्मेशन देंगे जो उसके गुण को भी परिभाषित करते होंगे|

अर्जुन के नाम (Names of Arjuna)

अर्जुन के कई नाम है जिसमे से अधिकतर नाम उसके अद्वितीय पराक्रम या लक्षण के आधार पर है| अथवा कुछ नाम उसके कुल और लक्षण के आधार पर है| अर्जुन के 28 नाम पार्थ, अनघ, जिष्णु, कुरुश्रेष्ठ, किरीटिन्, श्वेतवाहन, कुरुनंदन, भीभस्तु, विजय, कुरुप्रवीर, फाल्गुन, सव्यसाची, धनुर्धर, धनञ्जय, गाण्डीवधन्वन्, पुरुषव्याध्र, कृष्ण, कपिध्वज, गुडाकेश, पुरुषर्षभ, परन्तप, बीभत्सु, भरतश्रेष्ठ, गाण्डीवधर, कौन्तेय, भरतसत्तम, मध्यपाण्डव, महाबाहु है|

यह सभी नाम अपने आप में एक अर्थ को प्रदर्शित करता है| महाभारत की गाथा में अर्जुन के सबसे अधिक प्रिय मित्र श्री कृष्ण थे| महाभारत के फलश्रुति गीता के उपदेश देते समय भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुल 20 नाम के द्वारा संबोधित किया है|

अर्थ (Meaning of Different name of Arjuna)

पार्थ: अर्जुन की माता कुंती का एक नाम पृथा यानी पृथ्वी है| इसी पर से अर्जुन का एक नाम पार्थ है|

अनघ: अर्जुन शांत और सरल स्वाभाव का था| वह पाप और पुण्य माननेवाला था| वह स्वभाव से पाप रहित होने के कारण अर्जुन का नाम अनघ था|

जिष्णु: इस नाम का अर्थ होता है “जितने वाला” अर्जुन कई प्रकार के युद्ध में बड़े बड़े योद्धाओं को उसने परास्त किया था| इस पराक्रम के कारण उसका एक नाम जिष्णु था|

कुरुश्रेष्ठ: अर्जुन के पिता पांडू थे| लेकिन वह भी महान प्रतापी राजा कुरु के वंशज थे| इसी तरह अर्जुन भी कुरुकुल का एक श्रेष्ठ योद्धा होने के करण उसका एक नाम कुरुश्रेष्ठ था|

किरीटिन्: इंद्र देव के पक्ष में रहकर अर्जुन ने कई दैत्यों एवम राक्षसों को परास्त किया था| अर्जुन के इस पराक्रम को देखते हुए देवराज इंद्र के द्वारा उन्हें एक विशेष प्रकार का मुकुट प्रदान किया था जिसे किरीट कहा जाता था| इस पर से अर्जुन का नाम किरीटिन् हुआ|

श्वेतवाहन: अर्जुन के रथ को भगवान् श्री कृष्ण के द्वारा स्वयं महाभारत के युद्ध में चलाया गया था| यह रथ पूर्ण रूप से श्वेत था और उसके अश्व भी श्वेत होने के कारण अर्जुन का एक नाम श्वेतवाहन था|(Name of Arjuna)

कुरुनंदन: कुरु के वंशज होने के कारण अर्जुन का एक नाम कुरुनंदन भी था|

भीभस्तु: अर्जुन का यह नाम उसके युद्ध कला पर आधारित था|

विजय: अर्जुन युद्ध में हमेशा ही जितनेवालो में से था| इसलिए उसके दो नाम जिष्णु और विजय इसी के आधार पर पड़ा था|

कुरुप्रवीर: कुरु कुल में जिसमे जन्म लिया है और जो युद्ध कला और ज्ञान में तेजस्वी है उसे कुरुप्रवीर कहा जाता है, जो अर्जुन था|

फाल्गुन: अर्जुन का जन्म उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ था| इस वजह से इसे एक नाम फाल्गुन से भी संबोधित किया जाता है|

सव्यसाची: जो व्यक्ति बाएँ हाथ से भी धनुष को चलाने में माहिर हो उसे सव्यसाची के नाम से जाना जाता है| अर्जुन दाए और बाएँ दोनों हाथ से धनुष को चलाने में सक्षम होने के कारण उसे एक नाम सव्यसाची से भी पहचाना जाता था|

धनुर्धर: जो धनुष को धारण करता हो| अर्जुन का पसंदीदा शस्त्र धनुष था| इसे पृथ्वी का अबतक का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है|(Arjun ka naam)

धनञ्जय: ऐसे व्यक्ति को यह उपाधि दी जाती थी जो कही पर जाए धन लेकर आये| अर्जुन में ऐसे गुण थे जिसके कारण उसे धनञ्जय के नाम से जाना जाता था|

गाण्डीवधन्वन्: अर्जुन के धनुष का नाम गाण्डीवं होने के कारण यह नाम मिला था|

पुरुषव्याध्र: पुरुषो में जो व्याध्र के सामान हो उसे यह नाम मिलता था|

कृष्ण: जिसका वर्ण श्याम हो

कपिध्वज धारी: महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन के रथ पर दो दिव्यात्मा विराजमान थे| जिसमे एक कृष्ण और एक बजरंगबलि थे| बजरंग बलि आशीर्वाद स्वरूप वे अर्जुन के रथ के ध्वज में बेठे थे| इसलिए उन्हें कपिध्वजधारी कहा गया है|

गुडाकेश: अर्जुन का यह नाम उसके दो पराक्रम के कारण पड़ा था| अर्जुन ने निंद्रा को भी जित लिया था और वह कैसी भी काल रात्रि में युद्ध करने में सक्षम था| इसलिए अर्जुन का एक नाम गुडाकेशः है|

पुरुषर्षभ: पुरुष में सर्वश्रेष्ठ और वृषभ

परन्तप: परम तप करने वाला और शत्रु को अपने ताप से तपाने(परेशान) करने वाला|

बीभत्सु: अर्जुन हमेशा ही धर्म का पक्षधर था| और वह धर्म के साथ और अधर्म के विरुद्ध युद्ध लड़ता था इसलिए इसे बीभत्सु कहा गया था|

भरतश्रेष्ठ: कुरुवंश के पूर्वज और चन्द्र वंश में महान प्रतापी राजा भरत के वंश में अर्जुन का जन्म होने के कारण भरतश्रेष्ठ नाम से संबोधित किया जाता था|

कौन्तेय: माता कुंती के नाम पर से यह नाम मिला था|(Arjun ka naam)

भरतसत्तम: भरत वंश में जन्म मिलने के कारण अर्जुन को यह नाम से पहचाना जाता है|

मध्यपाण्डव: वह पांच पांडव में से भीम और युधिष्ठिर से छोटा एवम सहदेव और नकुल से बड़ा था| इसलिए मध्यपांडव कहा जाता है|

महाबाहु: जिसके हाथ लम्बे और शसक्त हो| अर्जुन के हाथ लम्बे शसक्त और धनुर्विद्या में काफी लाभप्रद थे| इस लिए इसे महा बाहू के नाम से जाना जाता था|

तो यह अर्जुन के कुछ नाम (Name of Arjuna) थे| महाभारत और गीता के साथ कई ग्रंथो में अर्जुन को इसी नामो से संबोधित किया जाता है|

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