दुर्धरा योग (Durdhara yoga in Hindi)
जन्म पत्रिका चन्द्र के द्वारा कई शुभ योग बताये गए है| जैसे की सुनफा योग(Suanpha Yoga), अनफा योग(Anapha Yoga) और दुर्धरा योग(Durdhara Yoga)| सभी में दुर्धरा योग काफी महत्व रखता है| आज के इस लेख के माध्यम से हम दुर्धरा योग के सन्दर्भ में सबकुछ इनफार्मेशन देंगे जैसे ये कैसे बनता है, उसके परिणाम क्या होते है और विभिन्न ग्रहों और परिस्थिति में क्या फल मिलता है|
दुर्धरा योग बनता कैसे है|(Durdhara yoga in Hindi)
जन्म पत्रिका में दुर्धरा योग तब बनता है जब किसी कुंडली में चंद्रमा के दोनों तरफ मतलब की चन्द्रमा से दुसरे भाव और चन्द्रमा से बारवे भाव में शुभ ग्रह बेठा हो तब दुर्धरा योग(Durdhara yoga in Hindi) का निर्माण होता है| यहाँ पर दुसरे और बारवे भाव में मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि को ही गिना जाता है| सूर्य, राहू और केतु के माध्यम से यह योग नहीं बनता है|
इस योग के अच्छे फल के लिए चन्द्र का मजबूत होना आवश्यक है साथ ही आगे और पीछे बेठे ग्रह का भी शुभ होना आवश्यक है|
दुर्धरा योग का फल|
चन्द्र के आगे और पीछे दो ग्रह के बिराजमान होने की वजह से चन्द्र के आसपास एक शुभ कर्तारियोग का निर्माण होता है| जिसे चन्द्र की strength बढ़ जाती है| चन्द्र मन का कारक है , चन्द्र पर शुभ ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के मन को शांत और संतोषी बनाता है| दुर्धरा योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति जीवन में धन और मान सन्मान को प्राप्त करते है|
जिस भी भाव में यह योग का निर्माण होता है इस भाव के संबधी फल में चन्द्रमा की वजह से वृद्धि होती है| ऐसा जातक जीवन में साधनों, धन और वाहन से सुखी होता है| ऐसा जातक स्त्री पुत्रो आदि का सुख प्राप्त करता है| दान और पुण्य जैसे कर्म में विश्वास रखता है|
विभिन्न ग्रहों का चन्द्रमा के दुसरे और बारवे भाव में होने का फल|
दुर्धरा योग(Durdhara yoga) बनने की संभावना काफी है और हर तरह की संभावना का फल लिख के बताना संभव नहीं है| इसी लिए हम आपको एक सिमित संभावना पर चन्द्रमा से दुसरे और बारवे भाव किन दो ग्रह का होने पर क्या फल मिलता है इसे बता रहे है जिसे आप थोड़े ज्ञान के साथ अपनी और से देख सकते है|
मंगल और बुध से दुर्धरा योग (Durdhara yoga)
अगर जन्म पत्रिका में मंगल और बुध ग्रह चन्द्र से दुसरे बारवे भाव में स्थित है तो जातक चतुर काम्निकालाने वाला, अपने कार्य में कुशल, बढ़ा चढ़ा कर बाते करने वाला, व्यर्थ के प्रपंच करने वाला, हठी, लोभी, मिथ्याभिमानी होता है|
मंगल और गुरु से दुर्धरा योग
अगर जन्म पत्रिका में मंगल और गुरु ग्रह चन्द्र से दुसरे बारवे भाव में स्थित है तो जातक स्वयं के संघर्ष से प्रगति को प्राप्त करता है| ऐसी स्थिति में जातक दूसरो का सहयोग कम लेता है आर्थिक रूप से धनी बनाने की चाहत होती है, और धन संचय की वृति का स्वामी होता है| ऐसे जातक काफी महत्व कांक्षी भी दिखने को मिलते है|
मंगल और शुक्र से दुर्धरा योग
अगर जन्म पत्रिका में मंगल और शुक्र ग्रह चन्द्र से दुसरे बारवे भाव में स्थित है तो जातक आकर्षक, हमेशा खुश रहने वाला, सुन्दर जीवन साथी का सहयोग प्राप्त करने वाला, और कलात्मक दृष्टि कोण रखने वाला होता है| विवाद और पुरुष जातक स्त्री के प्रति ज्यादा आकर्षित होता है|
मंगल और शनि से दुर्धरा योग(Durdhara yoga)
मंगल और शनि चन्द्र के दुसरे या बारवे भाव में सतही होकर यह योग बनाए तब जातक आध्यात्मिक दृष्टि कोण रखने वाला होता है| जातक को स्वच्छ रहने की आदत होती है और वह हमेशा ही कार्य को अभी करे या बाद में करे उसी द्विधा में फंसा रहता है|
बुध और गुरु से दुर्धरा योग
जन्म पत्रिका में बुध और गुरु चन्द्र मारे दुसरे और बारवे भाव में स्थित हो तब जातक में कई तरह के अच्छे गुण होते है| ऐसा जातक धर्मात्मा, शास्त्रज्ञ, कुशल वक्ता, ज्ञानी, काव्य जैसे विषय में रूचि रखने वाला, सज्जनों को प्रिय होता है| उसकी संगती हमेशा ही बड़े और ज्ञानी लोगो के साथ होती है|
बुध और शुक्र से दुर्धरा योग (Durdhara yoga)
इस योग में भी जातक को काफी अच्छे फल की प्राप्ति होती है| ऐसा जातक विद्वान्, निर्लोभी, देश और विदेश में भ्रमण करने का इच्छुक, कला को पसंद करने वाला, मधुर भाषा का प्रयोग करने वाला, लेकिन परिजनों से विरोध पाने वाला होता है|
बुध और शनि से दुर्धरा योग
बुध और शनि जब जन्म पत्रिका में चन्द्र से बारवे और दुसरे भाव में स्थित हो तब जातक आध्यात्म की और रूचि रखने वाला होता है| जातक राजनीती में पारंगत और अपने शत्रु को परास्त करने वाला होता है| ऐसे जातक को अपना कार्य केसे निकालना है वह अच्छी तरह से आता है|
गुरु और शुक्र से दुर्धरा योग (Durdhara yoga)
देवो के गुरु बृहस्पति और दैत्यों के गुरु शुक्र का चन्द्र से दुसरे और बारवे भाव में स्थित होना जातक को प्रसिद्धि देता है| जातक काफी ज्ञानी और हर विषय का ज्ञान रखने वाला होता है| कभी कभी ऐसे जातक अपने ज्ञान की वजह से ही प्रसिद्धि, और धन को अर्जित करते है| कार्य करने में और निति विषयक निर्णय लेने में ऐसे जातक काफी अच्छे होते है|
गुरु और शनि से दुर्धरा योग
गुरु और शनि से बनता यह योग जातक को स्वच्छ और निर्मल बनाता है| ऐसा जातक ज्ञान होने के बावजूद आडम्बर नहीं करता| वह अपना ज्ञान दूसरो को शेयर करने में विश्वास रखते है| ऐसे जातक विचारक और अपनी पिछली पीढीयों के लिए एक आदर्श उदाहरण छोड़ने में सक्षम होते है|
शुक्र और शनि से दुर्धरा योग(Durdhara yoga)
शुक्र और शनि चन्द्र के दुसरे और बारवे भाव में स्थित होने पर जातक विजातीय आकर्षण रखने वाला और राजनिति में रूचि रखने वाला होता है| ऐसा जातक हमेशा ही अपनी पत्नी और अपने सेवको के प्रति वफादार होता है| जातक स्वाभाव से सौम्य होता है|
चंद्रादी योग में सिर्फ मंगल बुध, गुरु, शुक्र, और शनि का ही महत्व है| राहू, केतु और सूर्य को इन योग में नहीं गिना जाता|
IMPORTANT NOTE
हमें आशा है की आपको हमारा यह लेख दुर्धरा योग (Durdhara yoga in Hindi) पसंद आया होगा| अगर आपको ज्योतिष के विषय में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें स्क्रीन के दाहिने और निचे दिए गए मेसेज के बटन पर क्लिक करे और हमसे परामर्श ले यह Astrology सेवा अभी बिलकुल फ्री है| आभार|
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