RAJ YOGA IN ASTROLOGY [HINDI] राजयोग

ज्योतिष में राजयोग (Rajyog in astrology)

राजयोग के माद्ध्यम से जातक सत्ता, मान सन्मान, यश और सम्पति को प्राप्त करता है|

ज्योतिष में कई तरह के राजयोग दर्शाए गए है| ज्योतिष में दर्शाए गए राजयोग का फल राजयोग की प्रबलता पर आधारित होता है| कई बार ऐसा दिखने को मिलता है की ज्योतिष में दिखाए गए राज योग का फल न मिलने की वजह से लोगो का और नए विद्यार्थीऔ की रूचि ज्योतिष में कम होने लगाती है|

कभी कभी कुछ राज योग ऐसे भी होते है जिनका फल जातक को कुछ विशेष परिस्थिति या फिर ग्रह की दशा और अन्तर्दशामें ही मिलता है|आज के इस लेख में हम आपको राज योग के फल करने के लिए किस चीज का ध्यान रखना चाहिए साथ ही कई तरह के राजयोग के बारे भी बात करेंगे जिसे आपको समजने में आसानी हो|

राज योग में निम्न लिखित परिस्थितिया काफी असर करती है|

  • ग्रह का बल
  • राजयोग ग्रह की दशा
  • ग्रह की स्थिति
  • ग्रह का वर्गीकरण

ग्रह का बल: ग्रह का बल तय करने के लिए कई तरह की ज्योतिष में अलग अलग व्यवस्था दी गयी है| जैसे की षड्बल, सप्त्वर्गीय बल, ग्रह की नवमांश में स्थिति जैसी कई बातो का ग्रह के बल पर प्रभाव पड़ता है|

राज योग की दशा: राज योग ग्रह की दशा किसीभी राजयोग के लिए सबसे महत्व रखती है|अगर किसीभी शुभ ग्रह या राजयोग कारक ग्रह की दशा जीवन में सही समय पर आना जरूरी है| जीवन में अच्छे ग्रह की दशा सही समय पर न आये तो अच्छे से अच्छा राज योग भी निष्फल हो जाता है|

ग्रह की स्थिति: ग्रह जन्म पत्रिका में कुछ विशेष परिस्थिति से बैठा हुआ होता है| कोई ग्रह उच्च का होता है तो कुछ ग्रह नीच का होता है| कोई ग्रह उच्च का होकर भी नीच का फल देता है तो कोई ग्रह नीच का होकर भी उच्च का फल देता है| ग्रह की विभिन्न वर्गों में क्या स्थिति है उसे भी देखना जरूरी है|

ग्रह का वर्गीकरण: जन्म लग्न के आधार पर ग्रह का वर्गीकरण किया जाता है जिसमे कोनसा ग्रह शुभ है, कोनसा ग्रह अशुभ है, और कोनसा ग्रह सम है| शुभ ग्रह का राजयोग अच्छा फल देता है जब की अशुभ ग्रह की दशा अच्छे से अच्छा राजयोग भी बर्बाद कर देती है|

जन्म पत्रिका में ग्रह की विभिन्न परिस्थिति के हिसाब से कई तरह के योग बनते है| जिसमे से कुछ राजयोग और कुछ विशिष्ट राज योग के नाम से जाने जाते है|

राजयोग (Raj Yoga Formation in Astrology)

प्राचीन पुस्तकों और ग्रंथो में कई तरह के राजयोग की बात कही गयी है| राजयोग मुख्यत्वे चार प्रकार से बनता है|

  • केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी की युति राजयोग का फल देती है|
  • केंद्र और त्रिकोण भाव का स्वामी कोई एक ही ग्रह बनता हो ऐसी परिस्थिति में राजयोग का निर्माण होता है|
  • केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी एक दुसरे के भाव में बैठ कर राशी परिवर्तन कर रहे हो|
  • केंद्र और त्रिकोण के स्वामी एक दुसरे को अथवा एक दुसरे के भाव को दृष्टि से देख रहे हो ऐसी स्थिति में राज योग बनता है|

महत्वपूर्ण राज योग(Important Raj Yoga)

  • पंचमहापुरुष राजयोग (Panch Mahapurush Rajyoga)
  • अनफा योग (Anafa yoga)
  • सुनफा योग(Sunafa yoga)
  • दुर्धरा योग(Durdhara Yoga)
  • चंद्राधि योग(Chandradhi Yoga)
  • लग्नाधि योग(Lagnadhi Yoga)
  • गजकेसरी योग(Gaj Kesari Yoga)
  • वेशी योग(Veshi Yoga)
  • वोसी योग(Vosi Yoga)
  • उभयचारी योग(Ubhaychari Yoga)
  • अमलाकिर्ति योग(Amala Kirti Yoga)
  • चन्द्र मंगल योग(Chandra Mangal Yoga)
  • पर्वत योग(Parvat Yoga)
  • शुभ कर्तरी योग(Shubh Kartari Yoga)
  • चामर योग(Chamar Yoga)
  • काहल योग(Kahal Yoga)
  • मालिका योग(Malika Yoga)
  • मत्स्य योग(Matsya Yoga)
  • मृदंग योग(Mridang Yoga)
  • शंख योग(Sankh Yoga)
  • श्रीनाथ योग(Shree Nath Yoga)
  • भेरी योग(Bheri Yoga)
  • अंशावतार योग(Anshavtaar Yoga)
  • लक्ष्मी योग(Lakshmi Yoga)
  • कलानिधि योग(Kalanidhi Yoga)
  • कुसुम योग(Kusum Yoga)
  • हरिहर ब्रह्म योग(Harihar Brahma Yoga)
  • दानी योग(Dani Yoga)
  • व्याकरणि योग(Vyakarani Yoga)
  • न्याय्शास्त्रग्य योग(Nyay shastrgya yoga)
  • रज्जू योग(Rajju Yoga)
  • मुशल योग(Mushal Yoga)
  • नल योग(Nal Yoga)
  • माला योग(Mala Yoga)
  • सिंहासन योग(Sinhasana Yoga)
  • एकावली योग(Aekavali Yoga)
  • शत्रुहंता योग(Shatruhanta Yoga)
  • राज हंस योग(Raj Hans Yoga)
  • दोला योग(Dola Yoga)
  • ध्वज योग(Dhvaja Yoga)
  • पारिजात योग(Paarijaat Yoga)
  • गदा योग(Gadaa Yoga)
  • कमल योग(Kamal Yoga)
  • वज्र योग(Vajra Yoga)
  • छत्र योग(Chhatra Yoga)
  • चक्र समुद्र योग(Chakra Samudra Yoga)
  • चक्र योग(Chakr Yoga)
  • समुद्र योग(Samudra Yoga)
  • वसुमती योग(Vasumati Yoga)
  • महा भाग्य योग(Maha Bhagya Yoga)
  • शिव योग(Shiv Yoga)
  • विष्णु योग(Vishnu Yoga)
  • ब्रह्मा योग(Brahma Yoga)
  • केदार योग(Kedar Yoga)
  • दामिनी योग(Damini Yoga)
  • विणा योग(Vina Yoga)
  • धन योग(Dhan Yoga)
  • लक्षाधिपति योग(Lakshadhipati Yoga)
  • कोट्याधिश योग(Kotyadhipati Yoga)
  • धनलाभ योग(Dhanlabh Yoga)
  • अतिधनलाभ योग(AtiDhanlaabh Yoga)
  • स्वपार्जित योग(Swapaarjit Yoga)
  • भात्रू धनलाभ योग(Bhatru Dhanlaabh Yoga)
  • मात्रु धनलाभ योग(Matru Dhanlaabh Yoga)
  • पुत्र धनलाभ योग(Putra Dhanlaabh Yoga)
  • शत्रु धन लाभ योग(Shatru Dhanlaabh Yoga)
  • पितृ धनलाभ योग(Pitru Dhanlaabh Yoga)
  • स्त्री धनलाभ योग(Stri Dhanlaabh Yoga)
  • सर्व सम्पतिवान योग(Sarv Sampativaan Yoga)
  • भास्कर योग(Bhaskar Yoga)
  • बुध योग(Budh Yoga)
  • प्रसादवान योग(Prasadvaan Yoga)
  • राज लक्षण योग(Raj Lakshan Yoga)
  • पुष्कल योग(Pushhkal Yog)
  • गौरी योग(Gauri Yoga)
  • कुर्म योग(Kurm Yoga)
  • मुकुट योग(Mukut Yoga)
  • गान्धर्व योग(Gandharv Yoga)
  • सरस्वती योग(Saraswati Yoga)
  • वाहन योग(Vaahan Yoga)

Experience based Raja Yoga (अनुभव के आधार पर राज योग)

  • जब जन्म पत्रिका में दो से अधिक ग्रह उच्च के होकर बेठे हो तो उससे अभी राज योग का फल प्राप्त होता है|
  • पांच या पांच से अधिक ग्रह का स्वग्रही होना भी अच्छा राज योग है|
  • नीच का ग्रह वक्री होने पर राजयोग जैसा फल दे सकता है|
  • दो से अधिक ग्रह जन्म पत्रिका में दिग्बल प्राप्त करने पर भी राजयोग का फल प्राप्त हो सकता है|
  • नीच ग्रह की राशी का स्वामी उच्च का होने पर निचभंग राजयोग का निर्माण होता है|
  • केंद्र और त्रिकोण भाव का स्वामी उच्च के या स्वग्रही होने पर भी राजयोग सामान फल मिल सकता है|
  • चन्द्र और गुरु चौथे भाव और गुरु दशमे भाव में एक ही पत्रिका में स्थित होने पर राजयोग सामान फल मिलता है|
  • सामान्य राजयोग पर गुरु की दृष्टि राजयोग को विशेष बनाती है|
  • केंद्र में शनि उच्च की स्थिति में हो और नौवे या दशवे भाव के स्वामी से देखा जाता हो तो ऐसी स्थिति में राजयोग का निर्माण होता है|
  • नवम भाव का स्वामी या दशम भाव का स्वामी उच्च का होकर अपनी उत्तमांश की स्थिति में बैठा हो तब भी वह ग्रह राज योग का निर्माण कर सकता है|

बहुत जल्द ही हम आपके लिए इस राज योग के बारे में विस्तृत से इनफार्मेशन उदाहरण के साथ आपके लिए लेकर आयेंगे जिसे आपको समजने में काफी आसानी हो|

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